खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध खराब हो गए।
चुनाव जीतने के लिए खालिस्तानियों को लुभाने में लगे कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए, जिसके बाद भारत ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया।
भारत के खिलाफ अनाप-शनाप बोलकर पंगा लेने वाले जस्टिन ट्रूडो को अब उन्हीं के देश की जनता ने आईना दिखाते हुए पोल खोल दी है।
एक सर्वे में पाया गया है कि 39 फीसदी कनाडाई लोग मानते हैं कि जस्टिन ट्रूडो की सरकार भारत के साथ संबंधों को ठीक तरह से मैनेज नहीं कर पा रही है।
सर्वे में लोगों ने जस्टिन ट्रूडो की असलियत को दिखा दिया है।
39 फीसदी लोगों ने यहां तक कह दिया है कि जब तक जस्टिन ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री बने रहेंगे, तब तक भारत और कनाडा के बीच संबंध ठीक नहीं होने वाले।
मालूम हो कि कनाडा को अगले साल आम चुनाव का सामना करना है और ट्रूडो अपने ही सांसदों से घिरे हुए हैं। उनके सहयोगी सांसदों का ही ट्रूडो से विश्वास हटता जा रहा है।
कई चुनावी सर्वों में भी ट्रूडो की पार्टी पिछड़ती दिख रही है। ऐसे में वह जनता को लुभाने के लिए कई कदम उठा रहे हैं।
इस सर्वे को जाने माने एंगस रीड इंस्टीट्यूट और एशिया पैसिफिक फाउंडेशन ने मिलकर किया है। इसमें सर्वे में ज्यादातर लोगों ने कनाडाई सरकार को इस बात का जिम्मेदार ठहराया है कि उसकी वजह से ही भारत और कनाडा के बीच संबंध इतने ज्यादा खराब हो गए हैं।
सर्वे से साफ है कि कनाडाई जनता भी ट्रूडो की चाल को समझ गई है। सर्वे के अनुसार, 39 फीसदी लोगों का मानना है कि कनाडा की ओर से रिश्ते ठीक तरह से मैनेज नहीं किए जा रहे, जबकि 32 फीसदी लोगों का इसके विपरीत नजरिया है। वहीं, 29 फीसदी ऐसे लोग हैं, जिन्होंने बताया कि वे कन्फर्म नहीं हैं।
संसदीय समिति को कनाडा संबंधी मुद्दों पर जानकारी दी
इस बीच, भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक संसदीय समिति को कनाडा से जुड़े मुद्दों पर जानकारी दी तथा भारत-कनाडा संबंधों में तनाव पैदा होने के लिए वहां की सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।
खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के कनाडा के आरोप का जिक्र करते हुए विदेश सचिव ने कहा कि कनाडा की सरकार अपने आरोप की पुष्टि के लिए कोई सबूत पेश करने में नाकाम रही है।
सूत्रों ने कहा कि सांसदों को बताया गया कि कुछ अन्य देशों में भी खालिस्तानी तत्व सक्रिय हैं, लेकिन वहां की सरकारें उन्हें संरक्षण नहीं दे रही हैं।
लेकिन कनाडा में चीजें भिन्न हैं, जहां उन्हें अक्सर भारत के खिलाफ अपना अभियान चलाने के लिए सुरक्षित जगह मिल जाती है।