“फ्रांस में सरकार कैसे गिरी? 60 सालों में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव पारित, दुविधा में फंसे मैक्रों”…

फ्रांस में सरकार गिर गई है। फ्रांस के दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों ने बुधवार को एक साथ मिलकर ऐतिहासिक अविश्वास प्रस्ताव लाकर प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर को सत्ता से बेदखल कर दिया है।

बजट विवादों के कारण लाए गए इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री बार्नियर और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को इस्तीफा देना पड़ा है।

यह 1962 के बाद पहली बार हुआ है जब देश में कोई सफल अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। वहीं देश के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर भी इस्तीफा देने का दबाव है। हालांकि उन्होंने कहा है कि वह 2027 तक का अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।

बुधवार को फ्रांस की नेशनल असेंबली ने 331 वोटों से प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके लिए कम से कम 288 वोटों की जरूरत थी।

गौरतलब है कि जून-जुलाई में हुए संसदीय चुनावों के बाद फ्रांस की संसद तीन प्रमुख हिस्सों में बंट गई थी। किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था।

विभाजन की स्थिति के बाद इमैनुएल मैक्रों को दूसरी बार एक नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा। मैक्रों गुरुवार शाम देश को संबोधित करेंगे। उम्मीद है कि तब तक बार्नियर औपचारिक रूप से इस्तीफा दे देंगे।

सितंबर में नियुक्त किए गए रूढ़िवादी नेता बार्नियर आधुनिक फ्रांस में सबसे कम समय तक पद पर रहने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं।

बार्नियर ने प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले अपने आखिरी भाषण में कहा, “मैं आपको बता सकता हूं कि फ्रांस और फ्रांसीसी लोगों की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रहेगी। यह अविश्वास प्रस्ताव चीजों को और अधिक कठिन बना देगा।”

बजट को लेकर शुरू हुआ था विरोध

पूरा विवाद बार्नियर के प्रस्तावित बजट के विरोध से शुरू हुआ। फ्रांस की संसद के निचले सदन, नेशनल असेंबली में किसी भी एक पार्टी के पास बहुमत नहीं है।

इसमें तीन प्रमुख ब्लॉक शामिल हैं- मैक्रों के सेंट्रलिस्ट सहयोगी, वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट और दक्षिणपंथी नेशनल रैली।

दोनों विपक्षी ब्लॉक, जो आम तौर पर असहमत होते हैं, बार्नियर के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। उन्होंने बार्नियर पर नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है।

मतदान के बाद TF1 टेलीविज़न पर बोलते हुए नेशनल रैली की नेता मरीन ले पेन ने कहा कि फ्रांस के लोगों को बचाना के लिए यही एक विकल्प था। ले पेन ने कहा है कि इस स्थिति के लिए काफी हद तक राष्ट्रपति मैक्रों जिम्मेदार हैं।

मैक्रों को चुनना होगा नया प्रधानमंत्री

इस बीच राष्ट्रपति मैक्रों के सामने नई दुविधा खड़ी हो गई है। संकट के बीच मैक्रों को नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति करनी होगी। जुलाई से पहले देश में कोई नया विधायी चुनाव नहीं हो सकता है और संसद चलाना कठिन हो सकता है।

दबाव के बीच मैक्रों ने कहा है कि उनके संभावित इस्तीफे के बारे में हो रही चर्चा में कोई सच्चाई नहीं थी।

मैक्रों ने कहा, “मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मुझे फ्रांस के लोगों ने दो बार चुना है। हमें ऐसी बातों से लोगों को नहीं डराना चाहिए। हमारी अर्थव्यवस्था काफी मजबूत है और कोई खतरा नहीं है।”

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