बांग्लादेश में नई सरकार के चुनाव को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है।
शनिवार को मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के योजना और शिक्षा सलाहकार वाहिदुद्दीन महमूद ने संकेत दिया कि अगले साल तक बांग्लादेश में एक चुनी हुई सरकार देखने को मिल सकती है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार का 5 अगस्त को पतन हो चुका है और तीन दिन बाद अंतरिम सरकार का गठन हुआ था।
इस अंतरिम सरकार की बागडोर नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस के हाथों में है। हालांकि, उनके प्रशासन का कार्यकाल कितना लंबा होगा इसे लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है।
यूनुस ने अपने शुरुआती बयानों में कहा था कि चुनाव जल्दी कराए जाएंगे, लेकिन एक सटीक समय सीमा तय नहीं की गई।
अक्टूबर में सरकार के कानूनी सलाहकार असीफ नजरूल ने कहा था कि 2025 तक चुनाव संभव हो सकते हैं, जबकि सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जनरल एम सखावत हुसैन ने 2026 के मध्य तक चुनाव होने की संभावना जताई थी।
बीते दिनों एक इंटरव्यू में यूनुस ने कहा कि चुनाव से पहले देश में आर्थिक, प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। हालांकि, उनके इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर सुधार कार्य पूरे करना प्राथमिकता होगी।
वहीं हसीना सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखा गया है। हसीना की पार्टी अवामी लीग, अब राजनीतिक तौर पर हाशिए पर दिख रही है।
यूनुस प्रशासन ने उनकी छात्र शाखा को प्रतिबंधित कर दिया है और पार्टी के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। दूसरी ओर, विपक्षी दल बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभर रही है।
हाल में यूनुस ने एक अहम बैठक आयोजित की जिसमें बीएनपी सहित कई अन्य दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। हालांकि, अवामी लीग और राष्ट्रीय पार्टी (एरशाद) को इस बैठक से दूर रखा गया। यह घटना स्पष्ट रूप से यूनुस प्रशासन की रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाती है।
वाहिदुद्दीन महमूद के बयान ने चुनाव की अटकलों को और बढ़ावा दिया है। हालांकि, यह उनका व्यक्तिगत विचार बताया जा रहा है।
यूनुस प्रशासन की अवधि के बारे में परस्पर विरोधी बयान अभी भी भ्रम पैदा कर रहे हैं।
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और नई सरकार को लेकर बनी अनिश्चितता के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि यूनुस प्रशासन कब तक चुनाव की घोषणा करता है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करता है।