“वक्फ विधेयक से हमें दूर रखा जाए,” इस मुस्लिम समुदाय ने JPC (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी) के सामने अपनी मांग रखी….

प्रसिद्ध वकील हरीश साल्वे ने मंगलवार को संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सामने वक्फ (संशोधन) बिल 2024 पर बोहरा समुदाय की ओर से अपना पक्ष रखा।

इस समुदाय ने अपने वकील के माध्यम से एक बार फिर नई कानून व्यवस्था के तहत इसके दायरे में आने से छूट की मांग की है।

साल्वे ने समिति के सामने अपनी गवाही में कहा कि यह स्थिति पहले के वक्फ कानूनों के तहत भी बनी रही थी। आपको बता दें कि बोहरा समुदाय शिया मुस्लिमों का हिस्सा है। यह अपनी अलग धार्मिक मान्यताओं के साथ अलग तरह से पहचाना जाता है।

साल्वे ने समिति के सामने कहा, “1962 में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दाऊदी बोहरा समुदाय को संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत एक ‘धार्मिक संप्रदाय’ के रूप में मान्यता दी थी।

आज भी यह स्थिति बनी हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि ‘संप्रदाय को संपत्ति का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए करने का अधिकार है, जिसके लिए उसे समर्पित किया गया था।

संपत्ति का प्रबंधन और इस संपत्ति के सही उपयोग की निगरानी का अधिकार और कर्तव्य स्पष्ट रूप से दाई (धार्मिक प्रमुख) के पास है’।”

बोहरा समुदाय ने यह भी बताया कि 1923 में इस समुदाय ने तत्कालीन वक्फ कानून से खुद को बाहर रखने की मांग की थी।

साल्वे ने कहा, “हमारे समुदाय के पास एक निहायत ही सीमित संख्या है और हमारे मूलभूत धार्मिक आस्थाओं को वक्फ कानून की व्यापक धाराओं द्वारा उपेक्षित किया गया है। एक सदी तक संघर्ष करने के बाद हमें यह अवसर मिला है कि हम वक्फ एक्ट, 1995 की प्रासंगिकता पर अपनी बात JPC के सामने रखें।”

बोहरा समुदाय ने इस बात पर जोर दिया कि उसकी धार्मिक आस्थाएं और प्रथाएं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 द्वारा संरक्षित हैं। इस प्रकार उसे वक्फ एक्ट, 1995 से पूरी तरह से बाहर रखा जाए।

साल्वे ने समिति को बताया कि इस समुदाय की कुल जनसंख्या पूरे देश में लगभग छह लाख है। उन्होंने कहा, “दाऊदी बोहरा समुदाय एक छोटा और सशक्त समुदाय है, जिसे ऐसी किसी प्रकार की व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है। यह अन्य संप्रदायों के लिए आवश्यक हो सकती है जो हमारे जैसे धार्मिक सिद्धांतों में विश्वास नहीं करते।”

इसके बाद विपक्षी दलों के कई सांसदों ने साल्वे से पूछा कि क्या बोहरा समुदाय को नए वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर कोई टिप्पणी करनी है, जैसे कि बोर्ड और वक्फ में गैर-मुसलमानों की नियुक्ति। सूत्रों के अनुसार, बोहरा समुदाय ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं करने का फैसला लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *