दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया है।
राष्ट्रपति यून सुक येओल ने मंगलवार को यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि उत्तर की कम्युनिस्ट ताकतों से देश की रक्षा के लिए ये उपाय जरूरी हो गया था।
येओल ने टेलीविजन ब्रीफिंग के दौरान यह घोषणा की, जहां उत्तर कोरियाई समर्थक ताकतों को खत्म करने और संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करने की कसम खाई गई।
राष्ट्रपति येओल की रूढ़िवादी पीपुल्स पावर पार्टी अगले साल के बजट बिल को लेकर उदारवादी विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गतिरोध में उलझी हुई है।
ह अपनी पत्नी और शीर्ष अधिकारियों से जुड़े घोटालों की स्वतंत्र जांच की मांग को भी खारिज कर रहे हैं, जिस पर उन्हें अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की ओर से सियासी हमले भी सहने पड़ रहे हैं।
चलिए जानते हैं कि मार्शल लॉ क्या है और दक्षिण कोरिया में इसका क्या असर पड़ेगा।
क्या होता है मार्शल लॉ?
मार्शल लॉ एक तरह का अस्थायी आपातकाल है। सरकार की ओर से इसे किसी देश पर संभावित खतरे या सुरक्षा संकट की स्थिति में लगाया जाता है।
मार्शल लॉ लागू होने पर सेना सामान्य नागरिक कार्यों और राज्य की सुरक्षा को नियंत्रित करती है। यह जरूरी नहीं है कि मार्शल लॉ पूरे देश पर लागू हो। देश के किसी छोटे से हिस्से में भी इसे लगाया जा सकता है।
कभी-कभी युद्ध के समय या फिर किसी क्षेत्र को जीतने के बाद मार्शल लॉ लगा दिया जाता है। साफ है कि मार्शल लॉ का मतलब युद्ध की शुरुआत करना नहीं होता।
तख्तापलट के बाद भी मार्शल लॉ लगाया जा सकता है। बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदा आने पर भी इसे लगा दिया जाता है। हालांकि, ज्यादातर देश ऐसी स्थिति में आपातकाल लागू करते हैं।
दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ के बाद क्या पाबंदियां
1.दक्षिण कोरिया के सांसदों की संसद भवन में एंट्री पर रोक होगी।
2.सेना ने स्थानीय समयानुसार रात 11 बजे से सभी राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
3.दक्षिण कोरिया में राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों और सार्वजनिक समारोहों पर पाबंदी लग गई है।
4.देश के सभी मीडिया और प्रकाशक अब सैन्य नियंत्रण के अधीन होंगे।
5. दक्षिण कोरिया में हड़ताल और वाकआउट पर भी पाबंदी होगी।
6.यात्रा पाबंदियां भी लगेंगी, जहां सैन्य चौकियां देश के भीतर आवाजाही को नियंत्रित करेंगी।