“सिर्फ नाम का सीजफायर! इजरायल अभी भी लेबनान में फैला रहा है मौत का मंजर; आगे क्या?”…

अमेरिका की मध्यस्थता से इजरायल और लेबनान के आतंकी ग्रुप हिजबुल्लाह के बीच 60 दिन का सीजफायर हुआ था, लेकिन यह समझौता सिर्फ नाम का रह गया है।

सीजफायर को 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि इजरायली सेना ने दक्षिण लेबनान के उन इलाकों पर हमला बोला, जहां विस्थापित अपने घर लौट रहे थे।

हाल ही में इजरायल ने लेबनान पर हवाई हमलों में 12 मासूम लोगों की जान ले ली। अमेरिका का कहना है कि समझौता भले ही कमजोर हो गया है, लेकिन उसे उम्मीद है कि सीजफायर जारी रहेगा।

इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच हुए 60 दिनी युद्ध विराम समझौते को एक सप्ताह ही बीता है, लेकिन सीजफायर टूटने के कगार पर है।

एक सप्ताह बाद ही यह समझौता तनाव में आ गया है। पिछले बुधवार को इसके लागू होने के बाद से ही कई उल्लंघन हुए हैं।

दक्षिणी लेबनान-इजराइल सीमा पर स्थिति अस्थिर बनी हुई है, जो युद्ध विराम समझौते के बाद शांति की पिछली अपेक्षाओं के विपरीत है।

लेबनानी अधिकारियों के अनुसार, सीजफायर समझौता कमजोर हो गया है। इजराइल ने समझौते के प्रभावी होने के बाद से लेबनान पर अपने सबसे व्यापक हवाई हमले शुरू किए हैं।

ताजा हमलों में कम से कम 12 लोग मारे गए। यह हमला विवादित शेबा फार्म क्षेत्र में हिजबुल्लाह द्वारा दागे गए प्रोजेक्टाइल की बौछार के जवाब में किया गया।

गौरतलब है कि 27 नवंबर को लागू हुआ यह युद्धविराम दोनों पक्षों के बीच 14 महीने से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से लागू हुआ था।

जिसमें इजरायल को लेबनान में आक्रामक सैन्य अभियान चलाने से प्रतिबंधित किया गया है, जबकि लेबनान को हिजबुल्लाह सहित सशस्त्र समूहों को इजरायल पर हमला करने से रोकने के लिए कहा गया है।

इसमें दक्षिणी लेबनान से इजरायली सेना की वापसी के लिए 60-दिवसीय समयसीमा शामिल है। हालांकि, इसे लागू करना एक चुनौती बनी हुई है।

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