सीरिया में बीते दिनों विद्रोहियों के कब्जे के बाद बशर अल-असद की सरकार गिर गई है और देश में अस्थिरता बनी हुई है।
विद्रोही गुटों के आक्रमण के बाद सरकारी तंत्र भी ठप्प पड़ा है। इस बीच इजरायल की नजरें सीरिया पर हैं और इन हालातों को नेतन्याहू अपने पक्ष में मोड़ने के लिए पूरी कोशिशें कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को इजरायल ने सीरिया के सैन्य ठिकानों पर 100 से ज्यादा हवाई हमले किए हैं। सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के प्रमुख रामी अब्देल रहमान ने इस बात की पुष्टि की है।
अब्देल रहमान ने कहा कि इजरायली हमलों में हथियार डिपो को निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस हमले में लताकिया के समुद्री पार्टी में पूर्व सीरियाई नौसेना की जहाजें भी बर्बाद हो गईं।
महीनों तक कई मोर्चों पर युद्ध लड़ने के बाद इजरायल को अब चिंता है कि सीरिया की अशांति इजरायल पर असर डाल सकती है।
इजरायली सेना ने दोनों देशों के बीच 1974 के युद्धविराम के हिस्से के रूप में सीरिया में बनाए गए एक बफर जोन पर कब्जा करना शुरू कर दिया है।
इजरायल ने कहा कि यह कदम अस्थायी है और इसका उद्देश्य अपनी सीमा को सुरक्षित करना है। इस घुसपैठ की मुस्लिम देशों ने निंदा की है और आलोचकों ने इजरायल पर युद्धविराम का उल्लंघन करने और सीरिया पर कब्जा करने का भी आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि इजरायल ने 1967 के युद्ध के दौरान सीरिया से जंग के दौरान गोलान हाइट्स के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया था।
इस बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को कहा है कि इजरायली सेना सीरियाई क्षेत्र में लगभग 400 किलोमीटर स्क्वायर बफर जोन पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ रही है। नेतन्याहू ने कहा कि सीरियाई सैनिकों के जाने के बाद इजरायल का बफर जोन में जाना जरूरी था।
इजरायल का कहना है कि उसका लक्ष्य सीरिया में अस्थिरता को सीमा क्षेत्र में फैलने से रोकना है। रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने सोमवार को कहा कि बफर जोन पर कब्जा पूरा करने के बाद, इजरायल सीरिया में सैन्य ठिकानों को हमला करेगा और ईरान को सीरिया की मदद से लेबनान में हथियारों की तस्करी नहीं करने देगा।